गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

मेरी नज़र मे कोई माहताब रहता है

रात है चाँद तो दिन आफ़ताब रहता है 
मेरी आँखों मे बस एक तेरा ख्वाब रहता है 
फलक के तारे सिमट आये मेरे दामन मे 
मेरी नज़र मे कोई माहताब रहता है  
रोहित कुमार "मीत"

बुधवार, 27 अप्रैल 2011

हम बेवफा के नाम से मशहूर हो गए


इतने मिले है जख्म कि नासूर हो गए 
इतना मिला है दर्द कि मजबूर हो गए 
इतने लगाये दाग वफाओं के नाम पर 
हम बेवफा के नाम से मशहूर हो गए 
रोहित कुमार "मीत"