दरिया से मिलके हमने समंदर की बात की
यानि कि अपने आप के अन्दर की बात की
हारा था कोन, जंग का मतलब था क्या भला
पोरस से मिलके हमने सिकंदर की बात की
हर शक्श अपने जख्म दिखने लगा मुझे
महफ़िल मे हमने जब भी सितमगर की बात की
उनकी जुबां पे " मीत" का भी नाम आ गया
उनसे किसी ने जब भी सुखनवर की बात की
रोहित कुमार "मीत"
रविवार, 31 अक्तूबर 2010
उनकी फितरत है रूठजाने की
फ़िक्र मुझको नहीं ज़माने की
मेरी आदत है मुस्कुराने की
एक दिन मेरी जान जाएगी
उनको आदत है आजमाने की
मेरी आदत तो है मनाने की
उनकी फितरत है रूठजाने की
तेरे चेहरे ने कह दिया सबकुछ
कुछ जरुरत नहीं बताने की
"मीत"उतना ह़ी याद आये है
कोशिशे जितना कि भुलाने की
रोहित कुमार "मीत"
मेरी आदत है मुस्कुराने की
एक दिन मेरी जान जाएगी
उनको आदत है आजमाने की
मेरी आदत तो है मनाने की
उनकी फितरत है रूठजाने की
तेरे चेहरे ने कह दिया सबकुछ
कुछ जरुरत नहीं बताने की
"मीत"उतना ह़ी याद आये है
कोशिशे जितना कि भुलाने की
रोहित कुमार "मीत"
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