'उत्साही हिंदी'
मेरे पुरखे जायसी,"रहिमन",अरु "रसखान",
मै सुगंध हूँ देश की, देश है मेरी जान
देश है मेरी जान, की सब मेरे शैदाई ,
गीत,छंद, अतुकांत ,ग़ज़ल ,दोहे,चोपाई
मै हिंदी हूँ यार मेरी औकात ना पूछो,
मै भारत की ज्योति हूँ मेरी जाति न पूछो
भाषाओ की धूप-छांव मै मेरा सफ़र है ,
मेरी गति पर जाने क्यों दुनिया की नज़र है
मेरी गोद मै जगमगाय मस्जिद ओ 'शिवाला
बाहें गंगा-कावेरी अरु शीश हिमाला
मै 'खुसरो' का प्यार, प्यार ही मेरा जीवन,
दुनिया मे लहकू-महकू भारत है उपवन
पदमश्री बेकल उत्साही
पेशकश- रोहित कुमार "मीत
शनिवार, 15 मई 2010
शनिवार, 8 मई 2010
दिल को मिला सुकून उसने भुला दिया
दिल को मिला सुकून उसने भुला दिया
ये बात और है कि मुझको रुला दिया
इस शहर मे कोई मुझे जानता ना था
फिर किसने रुसवाई को मेरा पता दिया
पास तेरा एक ख़त था निशानी के तौर
मगर आज तो हमने उसे भी जला दिया
चाक जिगर और आँखों मे मेरे अश्क
उसने मेरी वफ़ा का कुछ तो सिला दिया
टूट के बिखर-बिखर गए है यादो के पत्ते
किसने माजी के दरख्तों को हिला दिया
रो देते है बात- बात मे हँसते हुए भी हम
"मीत" इश्क ने तेरे क्या-क्या सिखा दिया
रोहित कुमार "मीत"
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