शनिवार, 8 मई 2010

दिल को मिला सुकून उसने भुला दिया


दिल को मिला सुकून उसने भुला दिया

ये बात और है कि मुझको रुला दिया


इस शहर मे कोई मुझे जानता ना था
फिर किसने रुसवाई को मेरा पता दिया

पास तेरा एक ख़त था निशानी के तौर
मगर आज तो हमने उसे भी जला दिया


चाक जिगर और आँखों मे मेरे अश्क
उसने मेरी वफ़ा का कुछ तो सिला दिया

टूट के बिखर-बिखर गए है यादो के पत्ते
किसने माजी के दरख्तों को हिला दिया

रो देते है बात- बात मे हँसते हुए भी हम
"मीत" इश्क ने तेरे क्या-क्या सिखा दिया

                               रोहित कुमार "मीत"

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