मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

मै तो खुशियों मे भी मुस्कुरा नहीं पाया


कोंई     रिश्ता    निभा   नहीं   पाया 
मै    कभी    मुस्कुरा     नहीं   पाया 

देखकर   भूख    उन     गरीबों  की 
इक    निवाला    भी  खा नहीं पाया 

मुझको मंसब तो मिल रहा था मगर 
मै   कभी   सर   झुका  नहीं   पाया 

यू    किया   आईने    ने      शर्मिंदा 
फिर   कभी  सर उठा     नहीं पाया 

सोचकर  घर   मेरा  भी   है   इसमे 
गांव    को   मै जला     नहीं   पाया 

तुम  जुदा  हो  ये  बात तुम   जानो 
"मीत " ने  तो  जुदा   नहीं    पाया

Rohit kumar"meet"


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