skip to main
|
skip to sidebar
ख्वाबो का कारवां
रविवार, 4 अप्रैल 2010
तुमको ना याद आयेंगे
तेरे बिना भी जी करके दिखाएँगे हम
आँखों मे अश्क लेकर मुस्कुराएंगे हम
तुमको ना याद आयेंगे वादा रहा मगर
मुमकिन नहीं कि तुमको भूल पाएंगे हम
रोहित "मीत"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
फ़ॉलोअर
ब्लॉग आर्काइव
►
2013
(1)
►
फ़रवरी
(1)
►
2011
(7)
►
दिसंबर
(1)
►
नवंबर
(1)
►
अक्तूबर
(1)
►
जुलाई
(2)
►
अप्रैल
(2)
▼
2010
(19)
►
दिसंबर
(3)
►
नवंबर
(1)
►
अक्तूबर
(2)
►
जून
(1)
►
मई
(2)
▼
अप्रैल
(10)
मै तो खुशियों मे भी मुस्कुरा नहीं पाया
मौत की चाह हों गयी
हमें तुम ख़ार रहने दो,
बिखरे बिखरे हैं ख़यालात
जारी है एक सफ़र मेरा
तुमको ना याद आयेंगे
इक सूरत की चाह में फिर
ज़ुल्फ़ बिखरा के निकले वो घर से
सपनो के दिन रात
चलते-फिरते लोग देवता हो गए
मेरे बारे में
Rohit "meet"
नादा था गिला करता रहा तन्हाइयो से अपनी दामन को छुड़ाता रहा मै रुसवाइयो से अपनी खुश था कड़ी धूप मै कोई हमराह है अपना "मीत" अक्सर फरेब खाता रहा मै परछाइयो से अपनी
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें