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सपनो के दिन रात
काँटों बीच तो देखिये ,खिलता हुवा गुलाब
पहरा दुःख का है लगा ,सुख पर बिना हिसाब
पैसे की बोछार मे, लोग रहे हमदर्द
बीत गयी बरसात जब, आया मौसम सर्द
उम्र बढ़ी तो घट गए ,सपनो के दिन रात
अक्किल बगिया फल गयी ,सुख गए जज्बात
पदम् श्री बेकल उत्साही
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