'उत्साही हिंदी'
मेरे पुरखे जायसी,"रहिमन",अरु "रसखान",
मै सुगंध हूँ देश की, देश है मेरी जान
देश है मेरी जान, की सब मेरे शैदाई ,
गीत,छंद, अतुकांत ,ग़ज़ल ,दोहे,चोपाई
मै हिंदी हूँ यार मेरी औकात ना पूछो,
मै भारत की ज्योति हूँ मेरी जाति न पूछो
भाषाओ की धूप-छांव मै मेरा सफ़र है ,
मेरी गति पर जाने क्यों दुनिया की नज़र है
मेरी गोद मै जगमगाय मस्जिद ओ 'शिवाला
बाहें गंगा-कावेरी अरु शीश हिमाला
मै 'खुसरो' का प्यार, प्यार ही मेरा जीवन,
दुनिया मे लहकू-महकू भारत है उपवन
पदमश्री बेकल उत्साही
पेशकश- रोहित कुमार "मीत
शनिवार, 15 मई 2010
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