गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

मेरी नज़र मे कोई माहताब रहता है

रात है चाँद तो दिन आफ़ताब रहता है 
मेरी आँखों मे बस एक तेरा ख्वाब रहता है 
फलक के तारे सिमट आये मेरे दामन मे 
मेरी नज़र मे कोई माहताब रहता है  
रोहित कुमार "मीत"

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