skip to main
|
skip to sidebar
ख्वाबो का कारवां
गुरुवार, 28 अप्रैल 2011
मेरी नज़र मे कोई माहताब रहता है
रात है चाँद तो दिन आफ़ताब रहता है
मेरी आँखों मे बस एक तेरा ख्वाब रहता है
फलक के तारे सिमट आये मेरे दामन मे
मेरी नज़र मे कोई माहताब रहता है
रोहित कुमार "मीत"
1 टिप्पणी:
संगीता स्वरुप ( गीत )
28 अप्रैल 2011 को 11:50 am बजे
खूबसूरत ...
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
फ़ॉलोअर
ब्लॉग आर्काइव
►
2013
(1)
►
फ़रवरी
(1)
▼
2011
(7)
►
दिसंबर
(1)
►
नवंबर
(1)
►
अक्तूबर
(1)
►
जुलाई
(2)
▼
अप्रैल
(2)
मेरी नज़र मे कोई माहताब रहता है
हम बेवफा के नाम से मशहूर हो गए
►
2010
(19)
►
दिसंबर
(3)
►
नवंबर
(1)
►
अक्तूबर
(2)
►
जून
(1)
►
मई
(2)
►
अप्रैल
(10)
मेरे बारे में
Rohit "meet"
नादा था गिला करता रहा तन्हाइयो से अपनी दामन को छुड़ाता रहा मै रुसवाइयो से अपनी खुश था कड़ी धूप मै कोई हमराह है अपना "मीत" अक्सर फरेब खाता रहा मै परछाइयो से अपनी
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
खूबसूरत ...
जवाब देंहटाएं