बहुत तेज़ रफ़्तार है जिन्दगी
नदी की कोई धार है जिन्दगी
हर एक साँस चुभती है दिल मे मेरे
कोई तेज़ तलवार है जिन्दगी
मेरा जिससे मिलना भी मुमकिन नहीं
उसी की तलबगार है जिन्दगी
मै इसको समझता था पुस्तक कोई
मगर एक अखबार है जिन्दगी
तेरे और मेरे बीच मे ऐ कज़ा
अगर है तो दीवार है जिन्दगी
इसे "मीत" जन्नत की है आरज़ू
बहुत ही गुनाहगार है जिन्दगी
रोहित कुमार "मीत"
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