शनिवार, 5 नवंबर 2011

बहुत तेज़ रफ़्तार है जिन्दगी

बहुत    तेज़    रफ़्तार   है     जिन्दगी 
नदी   की   कोई    धार     है  जिन्दगी 

हर एक  साँस चुभती   है दिल मे  मेरे 
कोई    तेज़   तलवार   है    जिन्दगी 

मेरा जिससे मिलना भी मुमकिन नहीं 
उसी  की   तलबगार   है       जिन्दगी 

मै इसको समझता  था   पुस्तक कोई 
मगर   एक  अखबार  है     जिन्दगी 

तेरे   और    मेरे    बीच   मे  ऐ  कज़ा 
अगर    है   तो   दीवार    है   जिन्दगी 

इसे   "मीत"   जन्नत की  है    आरज़ू 
बहुत   ही   गुनाहगार    है     जिन्दगी 

रोहित कुमार "मीत" 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें