बुधवार, 12 अक्तूबर 2011

कुछ यादगार लम्हे जगजीत सिंह जी के साथ

मै 3 महीने  पहले उनके संपर्क में  आया अपने book वाले project को लेकर बहुत खुश हुए थे wo इस प्रोजेक्ट को सुनकर हमारी book की भूमिका भी लिखी और अपना mobile number भी दिया की मै किसी भी country में रहूँगा ये number साथ रहेगा जिस दिन उनको 'ब्रेन हेमरेज'  के 2 दिन पहले  मेरी 32 min तक बात हुयी जिसमे उन्होंने अपने माज़ी के बारे में भी बात की कि जब मै तुम्हारे age का था तब मै भी किया जुनूनी  था  शाएरी  को  लेकर  मेरी  तो  सारी  हिम्मत  जवाब  दे  गयी  मेरी  book के  विमोचन  के  लिए  भी  November   last तक  बोला  था  इतने  कम  समय  में इतना  प्यार  मिला  उनकी  सादगी  आज  भी  भुलाये  नहीं  भूलती  है  यादों  के  तोर  पे  उनसे  कुछ  बातें  record हो  गयी  जो  धरोहर  है  मेरे  लिए  . . एक  और  बात  उन्होंने  बोली  थी  मेरे  बारे  में  की  तुम  ये  क्यों  बोलते  हो  की  मै  रोहित  बोल  रहा  हूँ  इतना  मीठा  नाम  आपका  "मीत"  है  आप  अपना  परिचय  मीत  से  दिया  करें  मैंने  आपका  number Meet  Lko के  नाम  से  save कर  रखा  है  आखिरी में  बस  इतना  कहूँगा  'तुम  ये  कैसे  जुदा  हो  गए  हर  तरफ  हर  जगह  हो  गए ........आज  भी  यकीन  नहीं  होता  फिर  भी  एक  कलाकार  कभी  नहीं  मरता  उनकी आवाज़ अमर है अमर रहेगी  वो  मुझ  से  इतना  दूर  गया  जितना  दिल  के  करीब  था  उसके  यादों  के  फूल  ही  शायद  मेरा  नसीब  था  आज  रोहित  नहीं  सिर्फ  "मीत" 

1 टिप्पणी:

  1. एक अज़ीम शख्सियत के विषय में बहुत ही भावपूर्ण स्मरण है यह पोस्ट..... उनका जाना किसी व्यक्तिगत के जाने से कम नहीं....! श्रद्धांजलि

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